पिता जी के सर की ताज है बेटी
हंसता हुआ एक समाज है बेटी
लेकिन बेटी ऐसे नहीं हो सकती
जैसे नजर आयी आज है बेटी
पिता से है खतरा बता वो रही है
मां को भी नीचा दिखा वो रही है
बहस हो रही है बड़े चैनलों पर
घरवालों से अब नाराज है बेटी
पिता जी के सर की ताज है बेटी, हंसता हुआ एक...
दुनियां के दुख से बचाता पिता है
कहानी सुनाकर सुलाती वो मां है
ठुकरा के सबको चली जा रही है
बसाने अलग एक समाज है बेटी
पिता जी के सर की ताज है बेटी, हंसता हुआ एक...
मां बाप को तुम तो इतना डरा दी
छीन डाली हर बेटियों की आजादी
फिर कैद होंगी बेटियां बेड़ियों में
यश कैसे लिखे की आजाद है बेटी
पिता जी के सर की ताज है बेटी, हंसता हुआ एक...
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©प्रवीन यश #यश #प्रवीन_यश
हरहुआ, वाराणसी
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