शनिवार, 13 जुलाई 2019



पिता जी के सर की ताज है बेटी
हंसता हुआ एक समाज है बेटी
लेकिन बेटी ऐसे नहीं हो सकती
जैसे नजर आयी आज है बेटी
पिता से है खतरा बता वो रही है
मां को भी नीचा दिखा वो रही है
बहस हो रही है बड़े चैनलों पर
घरवालों से अब नाराज है बेटी
पिता जी के सर की ताज है बेटी, हंसता हुआ एक...
दुनियां के दुख से बचाता पिता है
कहानी सुनाकर सुलाती वो मां है
ठुकरा के सबको चली जा रही है
बसाने अलग एक समाज है बेटी
पिता जी के सर की ताज है बेटी, हंसता हुआ एक...
मां बाप को तुम तो इतना डरा दी
छीन डाली हर बेटियों की आजादी
फिर कैद होंगी बेटियां बेड़ियों में
यश कैसे लिखे की आजाद है बेटी
पिता जी के सर की ताज है बेटी, हंसता हुआ एक...
डिसक्लेमर :- ये पोस्ट पूर्णतया कॉपीराइट प्रोटेक्टेड है, ये किसी भी अन्य लेख या बौद्धिक संम्पति की नकल नहीं है। इस पोस्ट या इसका कोई भी भाग बिना लेखक की अनुमति के नकल, चित्र रूप या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रयोग करने का अधिकार किसी को नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है निर्धारित क़ानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
©प्रवीन यश #यश #प्रवीन_यश
हरहुआ, वाराणसी
9450112497

शनिवार, 27 अप्रैल 2019


फेल होने पर आप क्यों निराश होते हैं
जो फेल होते हैं वही तो पास होते हैं
फेल हुए थामस तो इतिहास रच दिये
बनाए बल्ब जिससे आज प्रकाश होते हैं।।
जो फेल होते हैं वही तो पास होते हैं

विफलता में ही सफलता का सूत्र है छिपा
कर दो वो जो किस्मत में भी नहीं है लिखा
खुद पर रखो हौसला और जीत लो हर जंग
जंग जीते हैं वो ही जिन्हें विश्वास होते हैं।।
जो फेल होते हैं वही तो पास होते हैं

तुम खुद जानते हो तुमने क्या नहीं किया
अपने से अपनी बात को बयां नहीं किया
उस शख्स को देखो जो जिंदगी से लड़ रहा
सफल वे भी हैं जिनके न पांव हाथ होते हैं।।
जो फेल होते हैं वही तो पास होते हैं

यश जीवन की हर राह आसान नहीं है
तुमको हराये ऐसा कोई इंसान नहीं है
तुम्हें हर जंग जीतना है लंबी है जिंदगी
इस जिंदगी से ऐसे ना हताश होते हैं।।
इस जिंदगी से ऐसे ना हताश होते हैं
जो फेल होते हैं वही तो पास होते हैं

©प्रवीन यश #यश #प्रवीन_यश
हरहुआ, वाराणसी 8299776482

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

आज बड़ी-बड़ी मशीनरियों से
दर्जनों नवजात पौधे कुचल गए
बड़ा दुख हुआ यह देखकर इन
मासूमों पर मशीन के पांव कैसे चल गए
कुछ पौधे बीमार हो गए थे
छोटे पौधों में भी दीमक लग रहे थे
मशीनें दीमकों को कुचले पौधे भी गए
बेचारे कलप रहे थे

दीमक न लगे बागवानी में इसलिए
मशीनें छिड़काव करने आयी थी
बागवान को नहीं पता था शिशुओं के
दिलों में घाव करने आयी थी
दीमकों हेतु आयी मशीनें कुचल दी
प्राण जब निकलने लगा चौथे खंभे ने बताया
मशीनें दीमक मारने आयी थी क्योंकि
पौधों की जड़ों में दीमक लग रहे थे

डिसक्लेमर :- ये पोस्ट पूर्णतया कॉपीराइट प्रोटेक्टेड है, ये किसी भी अन्य लेख या बौद्धिक संम्पति की नकल नहीं है। इस पोस्ट या इसका कोई भी भाग बिना लेखक की लिखित अनुमति के नकल, चित्र रूप या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रयोग करने का अधिकार किसी को नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है निर्धारित क़ानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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हरहुआ, वाराणसी
9450112497


रविवार, 13 अगस्त 2017

चंद रुपयों के खातिर ईमान बेचने वाले बहुत हैं
राजनीति के नाम पर गीता-कुरान बेचने वाले बहुत हैं।
मर गए गोरखपुर में दर्जनों बच्चे बिना ऑक्सीजन के
घर में ही नंगा हो गए साहब इंसान देखने वाले बहुत हैं।।

गलती इसकी है या उसकी है शोर मंत्रालय में मचा है
सब डैकत भ्रष्टाचारी हैं सच्चा कौन मंत्रालय में बचा है
कहते हो यह सुशासन है शर्म करो साहब, तेरे लोग ही
तेरे सुशासन को खुले आम बेचने वाले बहुत हैं।
राजनीति के नाम पर गीता-कुरान बेचने वाले बहुत हैं।।


गुरुवार, 10 अगस्त 2017

सुनो जी एक माँ मर गयी
उनकी अस्थियां गल गयी।।
उसका बेटा एनआरआई था
जिसका लाखों रुपए कमाई था।।

अफसोस कि मां के मरने पर
बेटे को पता नही चला होगा।
मां प्राण त्यागी होगी ये सोचकर
बेटा विदेश में अच्छा भला होगा।।

मेरे मौत की खबर सुनकर
मेरा बेटा जहाज से आ जायेगा।
मेरे शरीर से लिपट कर झकझोरेगा
बिलखेगा रोएगा खूब पछतायेगा।।

लेकिन उस मां को क्या पता था
मेरा बेटा डेढ़ बरस बाद आएगा।
गली हुई हड्डियां और मेरे कंकाल देख
मुझे छुएगा भी नहीं बाहर भाग जाएगा।।

यह उसी मां का बदन है जिससे
वर्षों तक लिपटकर दूध पीते रहे।।
यह उसी मां का गर्भ है
जिसमें नौ माह तक जीते रहे।।

याद करो उस मां के स्तन का हर
एक बून्द दूध भी निचोड़ लेते थे।
मां कुछ खाने जाती तो झट से
उसके हाथों से छोड़ लेते थे।।

सोचो उस मां का खून जब
पानी सा हो गया होगा।
तेरे लिए रोई छटपटाई होगी
उसका आत्मा भी रो गया होगा।।

जब मां बोली अब बात न करना
तब वापस तुम तो आ सकते थे।
अपने परिचित या रिश्तेदार को
यह बात बता तो सकते थे।।

अमेरिका से मुम्बई पुलिस को
फोन कर वहां भेज दिया।
तुम नहीं आने की सोचे और
बस पुलिस को सहेज दिया।।

वाह रे दुनियां के मालिक कब
तुमने क्या सोचा था।
बड़की बिल्डिंग वाले अंधे
तुमको किसने रोका था।।

यश मानव तो जिंदा हैं पर
मानवता मरती रोज यहाँ।
जो तुझे उठाकर दफन हुए
वो लगते हैं तुम्हें बोझ यहाँ।।

डिसक्लेमर :- ये पोस्ट पूर्णतया कॉपीराइट प्रोटेक्टेड है, ये किसी भी अन्य लेख या बौद्धिक संम्पति की नकल नहीं है। इस पोस्ट या इसका कोई भी भाग बिना लेखक की लिखित अनुमति के नकल, चित्र रूप या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रयोग करने का अधिकार किसी को नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है निर्धारित क़ानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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बुधवार, 9 अगस्त 2017

कभी चढ़ जाती पेड़ पर
कभी झूल जाती डाल पर।
कभी आ जाती आंगन में
कभी चढ़ जाती दीवाल पर।।

एक दिन की बात है जब वो
पेड़ से उतरकर नीचे आ गयी।
घर में लगी फुलवारी में
खुद खींचे-खींचे आ गयी।।

पास में घूम रहे आवारा कुत्तों
की निगाह उस पड़ गयी।
कुत्ते झट से उसे दबोचने दौड़े
जिससे बेचारी डर गयी।।

उसको अपनी जान बचाना
लग रहा था बहुत भारी।
डरी रोयी कोई न सुना
कोई न सुना लचारी।।

हिम्मत कर एक कमरे में
वो भाग गयी छुपने को।
देर भले कोई आएगा
मेरा हाल पूछने को।।

मुंह बाये हुए दरिंदे
कुत्ते उसे खोज रहे थे।
उससे प्यास मिटायेंगे वो
मन ही मन ये सोच रहे थे।।

डरी गिलहरी देखते मालिक
कुत्तों को मारने दौड़े हैं।
कुत्ते बोले सत्ता मेरी है
सीने हैं मेरे चौड़े हैं।।

पूछो इस गिलहरी से तुम
धरती पर क्यों आती है।
उछल कुद करती क्यों इतनी
क्यों इतना इतराती है।।

सत्ता मेरी है तुम मेरा
कुछ नहीं कर पाओगे।
हम रोज गिलहरियों पर टूटेंगे
तुम कितने को बचाओगे।।

बोल दो अपनी इज्जत प्यारी
है इन गिलहरियों को।
धरती पर ना रखें कदम ये
तोड़ें भले टहनियों को।।

तब तक यह सारी बातें
हर जंगल वन पहुच गयी।
सभी गिलहरी न्याय मांगने
राजा के घर पहुच गयी।।

राजा गूंगा बहरा बन गया
कुत्तों को उसने ही पाला था।
अपने प्रजा की फिक्र न उसको
उसका मुँह खुद काला था।।

बात बात पर ट्वीट कर देता
सच्चा राजा बनने को।
डरी गिलहरी न्याय मांगती
नहीं बचा कुछ कहने को।।

तू जनता का "यश" है
तू जनता का भगवान है।
न्याय दे दो गिलहरी को
उसके अंदर भी तो जान है।।

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©प्रवीन यश #यश #प्रवीन_यश
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शनिवार, 5 अगस्त 2017

आप हैं तब इस जहां में हम हैं
आप नहीं हैं तो मुझमें क्या दम है।
आप साथ हैं तो दुनियां जीतेंगे
आप नहीं हैं तो यश बेदम है।।

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कुछ नया सोचने की आदत है हममे। कुछ नया करने की फितरत है हममें।।
क्या पता तकदीर कल कहॉ ले जाये। यू आज ही में जीने की चाहत है हममें।।

मेरे पापुलर अल्फाज....